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वरध तकत
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वरध तकत

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- तुम एक दिन सीख जाओगे पर मुझसे नहीं। मुझे बताओ कैसे सपनों ने तुम्हे यहाँ बुलाया है?

- सबसे पहले, मेरा नाम अलडीवन है। मैं पहाड़ों पर इस उम्मीद से चढ़ा की मुझे अपनी “विरोधी ताक़तें” मिलेंगी। वो मेरा भविष्य परिभाषित करेंगी। जब कोई अपनी “विरोधी ताकतों” को नियंत्रण में कर लेता है तो वह चमत्कार करने के काबिल हो जाता है। यही है वह जिसे मैं हासिल करना चाहता हूँ मेरा सपना है कि अपने पसंदीदा क्षेत्र में काम करना चाहता हूँ जिसमे मैं खुश रह सकूँ और कई लोगों को सपने दिखा सकूँ। मैं गुफा में जाना चाहता हूँ लेकिन सिर्फ अपने लिये नहीं बल्कि इस पूरे ब्रम्हांड के लिए जिसने मुझे ये तोहफे दिये हैं। दुनिया में मेरी जगह होगी और ऐसे मैं खुश रहूँगा।

- मेरा नाम नादजा है। मैं परनामबुको तट की रहने वाली हूँ। अपने यहाँ मैंने इस जादुई पहाड़ और गुफा के बारे में बहुत बातें सुनी है। तुरंत ही मुझे इस यात्रा को करने में दिलचस्पी हुई थी इस विचार के बाद भी कि यह सिर्फ एक कल्पित कहानी है। मैनें अपना सामान इकठ्ठा किया और, चल पड़ी, और मिमोसो पहुँची और पहाड़ों में आ गई। मैंने जैकपॉट मारा अब जब मैं यहाँ हूँ, मैं गुफा में जाऊंगी और मैं अपनी इच्छा पूरी कर लूंगी। मैं एक महान देवी होऊँगी, ताकतों और वरदानों से भरपूर। सब मेरी सेवा करेंगे। तुम्हारे सपने तो बहुत बकवास हैं। लेकिन क्यों कम मांगे जब हम सब सारा संसार मांग सकते है ?

- तुम गलत हो। गुफा कोई छोटे मोटे चमतकार नहीं करती। तुम असफल हो जाओगी। संरक्षक तुम्हे प्रवेश नहीं करने देंगे। गुफा में प्रवेश करने के लिये तुम्हे तीन चुनौतियां जीतनी पड़ेंगी। मैंने पहले दो पड़ाव पर कर लिये हैं। तुमने कितने जीते हैं?

- कितना बचकाना है, चुनैतियां और संरक्षक। गुफा उन्ही की इज़्ज़त करती है जो सबसे ताकतवर और सबसे ज्यादा विश्वासी होते हैं। मैं कल अपनी आकांक्षाओ को पूरा कर लूंगी और मुझे कोई नहीं रोक सकता, सुना तुमने?

- तुम ज्यादा अच्छा जानती हो। जब तुम्हें पछतावा होगा तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। मुझे लगता है मुझे चलना चाहिये मुझे आराम की जरूरत है क्योंकि बहुत देर हो चुकी है। मैं तुम्हे शुभकामनायें नहीं दे सकता क्योंकि तुम तो परमेश्वर से भी महान होना चाहती हो। जब मनुष्य इस जगह पर पहुँच जाता है तो वह खुद को बर्बाद कर लेता है।

- बेकार है सब, सिर्फ कहने की बातें है। कोई भी चीज मुझे अपने निर्णय लेने से नहीं रोक सकती।

यह देखते हुए की वह अटल है मैंने प्रयास करना छोड़ दिया, उसके लिए बुरा लग रहा था। कैसे लोग इतने तुच्छ हो सकते हैं? इंसान सिर्फ उसी समय सही होते हैं जब वे सच और समतावादी आदर्शों के लिए लड़ते हैं। रास्ते पर चलते हुए मुझे याद आया कि कितनी बार मैं गलत था या तो कमजोर आंकलन की वजह से या फिर दूसरे की उपेक्षा से आए हुए से। यह मुझे उदास करता था। ऊपर से, मेरा परिवार मेरे सपनों के खिलाफ था और मुझ पर भरोसा नहीं करते थे। यह बहुत ही दुखदायी था। एक दिन वह देखेंगे कि सपने पूरे हो सकते हैं। उस दिन, यह सब पूरा करने के बाद मैं अपने जीत की ख़ुशी मनाऊँगा औए बनाने वाले का गुणगान करूंगा। उसने मुझे सब दिया और बस यही चाहा की मैं अपने तोहफों को दूसरों के संग बाटूँ, क्योंकि बाइबिल कहती है, चिमनी जलाने के बाद उसे मेज के नीचे मत रखो इसके बजाए उसे ऊपर रखो क्यूंकि सभी के लिए इसे सराहना और प्रबुद्ध होना चाहिए। रास्ता खत्म होता है और मैं देखता हूँ उस झोंपडी को मैंने जिसे इतनी मेहनत से बनाया है। मुझे सोने जाना है क्योंकि कल दूसरा दिन है और मेरे पास अपने और दुनिया के लिये योजनाएं है। शुभरात्रि, पाठको। अगले अध्याय तक…..........

भूकंप

नए दिन की शुरुआत हुई। रोशनी हुई, सुबह की ठंडी हवाओं ने मेरे बालों को सहलाया, चिड़ियां और कीड़े खुशियां मना रहे है, ऐसा लग रहा है वनस्पति फिर से जीवित हो गए हैं। ऐसा हर दिन होता है। मैंने आँखे साफ़ की, मुंह धोया, दाँतों को साफ़ किया और नहाया। ब्रेकफास्ट के पहले यह मेरा नियमित कार्यक्रम था। जंगल आपको फायदा या विकल्प नहीं देते। मैं इसका आदी नही हूँ। मेरी माँ ने मुझे बचपन से ही कॉफ़ी देकर बिगाड़ दिया है। मैं अपना नाश्ता शांति के साथ करता हूँ लेकिन मेरे दिमाग में कुछ चल रहा है। तीसरी और आखिरी चुनौती क्या होगी? गुफा में मेरे साथ क्या होगा? बिना उत्तर वाले इतने सवाल थे जो मुझे पागल किये जा रहे थे। सुबह आगे बढ़ी और साथ ही मेरी धड़कन, सांसे और डर भी। मैं अब कौन था? निश्चित ही वह नहीं था जो पहले था, मैं एक पवित्र पहाड़ में अपनी किस्मत को ढूंढते हुए चढ़ गया जिसके बारे में मैं भी नहीं जानता था। मैंने संरक्षक को ढूंढा और उन मूल्यों के बारे में सीखा जो मेरी कल्पना से भी बड़ी दुनिया के बारे में थे जिसके बारे मे मैंने सोचा तक नहीं था कि यह अस्तित्व में भी होगा। मैनें दो चुनैतियां जीत लीं अब केवल तीसरी चुनौती का सामना करना है। एक तीसरी चुनौती जो दूरवर्ती तथा अज्ञात थी। झोंपडी के पास पत्ते थोड़ा और आ गए। मैं प्रकृति और उसके इशारों को समझना सीख गया था। कोई पुकार रहा है।

- हेल्लो! क्या आप वहाँ है?

मैं गया और नज़रों को दूसरी ओर फेर लिया और संरक्षक के रहस्यमयी हाव-भाव की परिकल्पना करने लगा। वो खुश दिखाई दे रही थी और ऐसी उम्र में भी खिली हुई दिख रही थी।

-जैसा की तुम देख सकती हो, मैं यहाँ हूँ। तुम मेरे लिए क्या समाचार लाई हो?

- जैसा की तुम जानते हो, आज मैं तुम्हें तुम्हारी आखिरी और तीसरी चुनौती सुनाने आई हूँ। यह तुम्हारे पहाड़ में रहने के सातवें दिन होगा क्योंकि यह किसी नश्वर के रहने का अधिकतम समय है। यह बहुत ही आसान है और इन चीजों से मिल के बना है: इस झोंपड़ी को छोड़ने के बाद उसी दिन इंसान या राक्षस जिससे पहले तुम्हरे सामना हो उसे मार दो। नहीं तो तुम गुफा में प्रवेश करने के लिए लायक नहीं रहोगे जो तूम्हारी इच्छाओ को पूरा करती है। क्या कहते हो तुम? क्या यह आसान नहीं है?

- कैसे भला? मारना? क्या मैं कोई कातिल दिखता हूँ?

- यह गुफा में तुम्हारे प्रवेश करने का केवल यही तरीका है। खुद को तैयार कर लो क्योकि अब सिर्फ दो ही दिन बचे हैं।

एक 3.7 तीव्रता के भूकंप ने पहाड़ के चोटी को पूरा हिला के रख दिया। भूकंप की वजह से मुझे चक्कर आने लगे और मुझे लगा की मैं बेहोश हो के गिरने वाला हूं। ज्यादा से ज्यादा विचार मन में आ रहे है। मैं अपनी ताकत कम होते हुए महसूस कर रहा हूँ और ऐसा लग रहा की मेरे हाथ और पांव किसी ने बाँध कर रख दिए हैं। एक झलक में मुझे ऐसा दिखा कि मैं कोई मजदूर हूँ जो खेतों में काम कर रहा हूँ और सेठों द्वारा सताया गया हूं। मैं बेडियां, खून देख रहा हूँ और अपने साथियों की रोने की आवाज सुन रहा हूँ। मैं अमीरी, गर्व और कर्नलों के विश्वासघात को देख रहा हूँ। मैं स्वतंत्रता के लिए उठ रहे सुरों तथा दबाए गए लोगों को न्याय मांगते भी देख रहा हूँ। यह दुनिया कितनी जालिम है! जहाँ कुछ तो जीतते हैं तो कुछ को सड़ने के लिए भुला दिया जाता है। बेड़ियां टूटती हैं। मैं छूट गया हूं, लेकिन अभी भी मुझे घृणा और गलत कामों के लिये भेदभाव के साथ देखा जाता है। मैं अब भी उस श्वेत आदमी के भूत को देखता हूं जो मुझे "काला आदमी" कहकर पुकारता है। मैं अब भी छोटा महसूस करता हूँ। मैं फिर से कोलाहल की आवाज सुन सकता हूँ लेकिन अब आवाज बहुत ही साफ़, सटीक और पहचानी सी है। झटके धीरे धीरे खत्म हो गए और मैं होश में लौटा। किसी ने मुझे उठाया। अब भी थोड़ा स्तम्भित हूँ मैंने कहा:

-क्या हुआ?

संरक्षक रोते हुए, उत्तर ढूंढ नहीं पाईं।

-मेरे पुत्र, गुफा ने फिर से किसी आत्मा की हत्या कर दी। कृपया तीसरी चुनौती को जीत जाओ और इस श्राप को खत्म कर दो। पूरी सृष्टि तुम्हे जीताने में लगी है।

- मुझे नहीं पता कि कैसे जीतना है। केवल परमेश्वर ही अपनी रौशनी से मेरे विचार और कामों को प्रकाशित कर सकते हैं। मैं यह वचन देता हूँ की मैं आसानी से अपने सपनों पर हार नहीं मानूंगा।

-मुझे तुम पर तथा तुम्हारे प्राप्त किए ज्ञान पर भरोसा है। शुभकामनायें, परमेश्वर के पुत्र! जल्द ही मिलेंगे।

यह कहने के बाद अजीब औरत चली गई और धुएं के गुबार में गुम हो गई। अब मैं अकेला था तथा मुझे आखिरी चुनौती के लिये तैयारी करने की जरूरत थी।

आखिरी चुनौती के एक दिन पहले

अब पहाड़ के ऊपर आए मुझे छः दिन हो गए थे। चुनौती से भरे समय और अनुभव ने मुझे समझदार बनने में मदद की है। मैं अब आसानी से प्रकृति को, खुद को और दूसरों को समझ सकता हूँ। प्रकृति अपनी ही धुन में चलती है और इंसानों के आहट के खिलाफ है। हम वनों को काटते हैं, पानी को दूषित करते हैं और वायुमंडल में जहरीली गैस छोड़ते हैं। हमें उससे क्या मिलता है? हमारे लिए क्या ज्यादा महत्वपूर्ण है पैसा या खुद का ज़िंदा रखना? इसके परिणाम है: वैश्विक उष्णता, वनस्पतियों और जीवो में कमी, प्राकृतिक आपदा। क्या इंसान यह नहीं देखता की यह सब उसकी गलतियां हैं? अब भी समय है, प्रकृति को प्रदूषित ना करें। अपना भाग अदा करें: पानी और ऊर्जा बचाएं, खराब चीजों को पुनः उपयोग लायक बनायें, प्रकृति को दूषित ना करें। प्रकृति के मसलों को लेकर अपनी सरकार से जवाब मांगे। हम खुद के लिए तथा दुनिया के लिये बस इतना ही कर सकते हैं। रोमांचित मैं वापस आते हुए, मैं एक बार पहाड़ पर चढ़ गया, मुझे अपनी मुराद और सीमा अच्छे से समझनी चाहिये। मुझे समझ में आ गया कि सपने तभी पूरे होते है जब वो सही और नेक हों। गुफा निष्पक्ष है और अगर मैं तीसरी चुनौती भी जीत गया तो मेरे सपने सच हो जाएंगे। जब मैंने पहली और दूसरी चुनौती जीती तो मुझे दूसरों की मुरादें अच्छे से समझ आने लगीं थीं। अधिकतर लोग यह सपना देखते हैं कि वह अमीर हो जाएँ, सामजिक प्रतिष्ठा बढ़े, ऊँचे पद पर नियंत्रण रखें। वे यह नहीं देखते कि जिंदगी में अच्छी चीज क्या है: पेशेवर तरक्की, प्यार और ख़ुशी। वो चीजें जो इंसान को सचमुच में ख़ास बनाती है वो हैं उनके गुण जो उनके काम से झलकते हैं। ताकत, पैसा और समाज में शेखी किसी को खुशी नहीं देती है। मैं पवित्र पहाड़ में यहाँ ढूंढ रहा हूँ: ख़ुशी और "विरोधी ताकतों" पर अधिकार। मुझे कुछ समय के लिये बाहर जाना जरूरी है। एक एक कदम के साथ मैं झोंपडी के बाहर निकला जिसे मैंने बनाया था। मैं किस्मत के इशारे की उम्मीद करने लगा।

सूरज का तामपान और बढ़ रहा है, हवाएं और तेज हो गई हैं और कोई भी इशारा नहीं दिख रहा। मैं तीसरी चुनौती कैसे जीतूंगा? अगर मैं अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाया तो इस असफलता के साथ कैसे जी पाऊंगा? मैं अपने दिमाग से गलत विचारों को हटाने की कोशिश करता हूँ लेकिन डर बहुत ज्यादा है। मैं पहाड़ पर चढ़ने से पहले कौन था? एक नौजवान, असुरक्षित, दुनिया और इसके लोगों का सामना करने से घबराने वाला। एक नौजवान आदमी जो अपने अधिकारों के लिए एक दिन न्यायलय में लड़ता है लेकिन जीत नहीं पाता। भविष्य ने मुझे दिखाया कि यह बेहतर था। कई बार हम हार कर के जीतते है। जिंदगी ने मुझे यह सिखाया है। कुछ पक्षी मेरे आस पास चहचहाने लगे। वो मेरे सवाल समझ गए थे। कल एक नया दिन होगा, पहाड़ की चोटी में सातवां दिन। मेरा भविष्य इस तीसरे चुनौती के साथ खतरे में था। पाठको, प्रार्थना करें की मैं जीत जाऊं।

तीसरी चुनौती

एक नए दिन की शुरुआत हुई। तापमन सुहावना था और आकाश अपनी विशालता में नीले रंग में था। आलसीपन से, मैं अपनी नींद भरी आँखे खुजलाते हुए उठा। बड़ा दिन हो चुका है और मैं इसके लिए तैयार हूँ। सबसे पहले, मुझे अपना नाश्ता तैयार करने की जरुरत है। जिन चीजों को मैं कल ढूंढ़ के लाया था उनके साथ बनाना कोई कठिन काम नहीं होगा। मैंने कढ़ाई तैयार की और चिकन के अंडे को फोड़ने लगा। कुछ बड़े छींटे मेरे आँखों में लग ही गए थे। कितनी बार जिंदगी में ऐसा होता है कि दूसरों की चिंता से हम दुखी होते हैं। मैंने अपना नाश्ता किया, थोड़ा आराम किया और अपनी रणनीति तैयार करने लगा। तीसरी चुनौती बहुत आसान लग रही थी। किसी को मारने के बारे में सोच भी नहीं सकता। लेकिन फिर भी, मुझे इसका सामना करना पड़ेगा। और इस प्रतिज्ञा के साथ मैं चलने लगा और थोड़ी देर में ही मैं झोंपडी के बाहर था। तीसरी चुनौती यहाँ से शुरू होती है और मैं इसकी तैयारी करता हूँ। मैं पहला रास्ता लेता हूँ और उसमें चलना शुरू करता हूँ। रास्ते के दोनों तरफ लगे पेड़ बहुत ही चौड़े और गहरी जड़ वाले हैं। मैं किस चीज को ढूंढ रहा हूँ? सफलता, जीत और उपलब्धि। जो भी हो, मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूँगा जो मेरे सिद्धान्तों के खिलाफ हो। प्रसिद्धि, सफलता और ताकत से पहले मेरी इज़्ज़त है। तीसरी चुनौती मुझे परेशान कर रही है। मेरे लिए मारना एक अपराध है चाहे वह कोई जानवर ही क्योँ ना हो। दूसरी तरफ मैं गुफा में प्रवेश करना चाहता हूँ और अपनी फ़रियाद पूरी करना चाहता हूँ। यह दो "विरोधी ताकतों" या "विरोधी रास्तो" का प्रतिनिधित्व करती हैं।

मैं रास्ते पर ही चल रहा था और प्रार्थना कर रहा था कि मुझे कुछ ना मिले। कौन जाने, हो सकता है तीसरी चुनौती खत्म ही कर दी जाए। मुझे नहीं लगता संरक्षक इतने दयालु होंगे। नियम का पालन सभी को करना पड़ता है। मैं थोड़ी देर रुका और जो दृश्य देखा उस पर भरोसा नहीं कर पा रहा था: एक ओसेलेट और उनके तीन शावक, मेरे आस पास खेल रहे थे। बस यही था। मैं तीन शावकों की माँ को नहीं मारूँगा। मेरे पास हिम्मत नहीं है। अलविदा सफलता, अलविदा निराशा की गुफा। बहुत सपने हुए। मैं तीसरी चुनौती पूरी नहीं कर पाया, मैं जा रहा हूँ। मैं अपने घर तथा प्रियजनों के पास लौट जाऊँगा। जल्द ही मैं अपने केबिन में सामान बाँधने के लिये आ गया। मैंने तीसरी चुनौती पूरी नहीं की।

केबिन उखड़ा हुआ था, इसका क्या मतलब था? एक हाथ ने धीरे से मेरे बाजू को छुआ। मैं पीछे पलटा और संरक्षक को देखा।

-मेरी शुभकामनाये, प्रिय! तुमने तीसरी चुनौती पूरी कर ली और अब तुम्हे निराशा की गुफा में प्रवेश करने का अधिकार है। तुम जीत गए।

जोर से उसने मुझे जो गले लगाया उसने मुझे और परेशान कर दिया। यह औरत क्या कह रही थी? इन सब के बाद भी मेरे सपने और गुफा फिर से मिल सकते थे? मैं इस पर भरोसा नहीं करता।

-क्या मतलब है तुम्हारा? मैनें तीसरी चुनौती पूरी नहीं की। मेरे हाथों को देखो: ये साफ़ है। मैं अपना नाम खून के धब्बों से नही रंगूगा।

-तुम नहीं जानते? तुम्हे लगता है कि परमेश्वर का पुत्र ऐसे अत्याचार करने में सक्षम होगा जैसे की मैंने कहा था? मुझे कोई भी शंका नहीं है कि तुम अपने सपनों को पूरा करने के काबिल हों, भले ही उन्हें सच होने में समय लगेगा। तीसरी चुनौती ने पूर्ण रूप से तुम्हारी कीमत आंक ली है और तुमने परमेश्वर के बनाए हुओं के लिये बेइंतहा प्यार का प्रदर्शन किया है। एक इंसान के लिए यही सबसे जरूरी चीज है। एक और चीज: सिर्फ एक साफ़ दिल वाला ही गुफा में जीवित रह पाएगा। अपने दिल और विचारों को साफ़ रखो ताकि तुम उस पर जीत पा सको।

-धन्यवाद, परमेश्वर! धन्यवाद, इस मौके के लिये। मैं वादा करता हूँ कि आपको निराश नहीं करूँगा।

भावनायें मुझ पर ऐसे हावी हो गईं जैसे मैं कभी पहाड़ पर ही नहीं चढ़ा। क्या गुफा सच में चमत्कार करने में सक्षम थी? मैं पता ही करने वाला हूँ।

निराशा की गुफा

तीसरी चुनौती जीतने के बाद मैं खूंखार निराशा की गुफा में प्रवेश करने के लिए तैयार था, वह गुफा जो असम्भव सपनों को पूरा करती है। मैं भी एक सपना देखने वाला था जो अपनी किस्मत आजमानें जा रहा था। जब से मैं पहाड़ के ऊपर चढ़ा हूँ मैं बिलकुल भी पहले जैसा नहीं रहा। मुझे अब खुद पर विश्वास था और उस ब्रम्हांड में जिसने मुझे उठाए रखा है। अजीब औरत ने जो गले लगाया था उससे भी थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा था। अब वह यहाँ मेरी तरफ थी हर तरह से मेरा समर्थन कर रही थी। यह वह समर्थन था जो मुझे अपने प्रियजनों से कभी नहीं मिला। मेरी अविभाज्य अटैची मेरी बाजू के नीचे थी। अब यह मेरा समय था कि मैं पहाड़ और उसके रहस्यों को अलविदा कह दूँ। चुनौतियां, संरक्षक, भूत, नौजवान लड़की और पहाड़ खुद जो भी जीवित महसूस होता था, इन सब ने मुझे समझदार बनाने में मदद की है। मैं छोड़ के जाने के लिये और खूंखार गुफा का सामना करने के लिए तैयार था। संरक्षक मेरे साथ और गुफा के प्रवेश द्वार के इस सफर तक मेरा साथ देंगीं। हम चलते है क्योंकि सूरज क्षितिज की और बढ़ रहा है। हमारी योजना पूरे सामंजस्य में है। आस पास के पेड़ व वनस्पतिओं और जानवरों की आवाज पर्यावरण को ग्रामीण बना रही है। संरक्षक की पूरे रास्ते भर की चुप्पी गुफा में छुपे खतरे को प्रदर्शित कर रही थी। हम थोड़ी देर रुके। पहाड़ों की आवाज शायद मुझसे कुछ कहना चाहती है। मैं इस मौके को चुप्पी को तोड़ने के लिये उपयोग करता हूँ।

-क्या मैं कुछ पूछ सकता हूँ? ये कौन सी आवाजें हैं जो मुझे कष्ट दे रही हैं?

- तुमने आवाजें सुनी। पवित्र पहाड़ की यह जादुई क्षमता है कि सभी सपने देखने वाले दिलों को एक संग ला देती है। तुम इस जादुई गूंज को महसूस कर पा रहे हो और समझ पा रहे हो। फिर भी, इन पर ज्यादा मत ध्यान दो ये तुम्हें असफलता की और ले जाएँगी। अपनी विचारों पर केंद्रित रहो और काम हो जायेंगे। गुफा की यह क्षमता है कि वह आपकी कमजोरियां पहचान कर उसे आपके खिलाफ उपयोग कर सकती है।

- मैं अपना ख्याल रखने का वचन देता हूँ। मुझे नहीं पता की गुफा में मेरा क्या इंतज़ार कर रहा है लेकिन मुझे भरोसा है प्रकाशित आत्मा मेरी मदद करेगी। मेरा भविष्य दांव पर है और कहें तक तो कुछ हद तक दुनिया भी।

- चलिये, हमने काफी आराम कर लिया। चलना शुरू करते हैं क्योँकि कुछ ही देर में शाम हो जायेगी। गुफा यहाँ से करीब आधा किलोमीटर ही होगी।

पैरो की गड़गड़ाहट फिर से शुरू हो गई। मेरे सपने सच होने से बस आधा किलोमीटर दूर हैं। हम पहाड़ के पश्चिमी भाग पर हैं जहाँ हवा ज्यादा तेज़ है। पहाड़ और उसके राज…............मुझे लगता है मैं इसे कभी पूरा नहीं जान पाउँगा। मुझे चढ़ने के लिए किस चीज ने प्रेरित किया? असम्भव का संभव होने का वादा और मेरे रोमांच और स्काउटिंग प्रवृति ने। सच में, जो चीज मुमकिन थी और मेरे हर दिन की दिनचर्या मुझे मार रही थी। अब मैं जिन्दा महसूस कर रहा था और चुनौतियों से जीतने के लिए तैयार था। पहाड़ के पास पहुँच गए। मैं इसका प्रवेश द्वार देख सकता हूँ वह प्रभावशाली लग रहा है लेकिन मैं हतोत्साहित नहीं हूँ। मेरे बदन में विचारों की लहर दौड़ गई। मुझे अपनी तंत्रिकाओं पर काबू पाना होगा। ये किसी भी समय मुझे धोखा दे सकती है। संरक्षक रुकने का संकेत देती है। मैं उसका पालन करता हूँ।

- इससे ज्यादा गुफा के पास मैं नहीं जा सकती। इसीलिए जो भी मैं कह रही हूँ उसे ध्यान से सुनो क्योकि मैं दोबारा नहीं बोलूंगी: अपने परमेश्वर से संरक्षक स्वर्गदूत के लिए प्रार्थना करो। वो तुम्हे खतरों से बचाएंगे। जब तुम प्रवेश करो तो इस सावधानी के साथ करो की तुम जाल में नहीं फंसोगे। मुख्य द्वार में कुछ समय चलने के बाद एक निश्चित समय के बाद तुम्हे तीन विकल्प मिलेंगे: ख़ुशी, हार और डर। ख़ुशी को चुनना। अगर तुम हार को चुनोगे, तो तुम एक गरीब पागल बन कर रह जाओगे जो सिर्फ सपने देखा करता है। अगर तुम डर को चुनोगे तो तुम खुद को पूरी तरह से खो दोगे। ख़ुशी तुम्हें दो और दृश्यों में पहुंचायेगी जिस के बारे में मुझे नहीं पता। याद रखना: सिर्फ साफ़ दिल वाले गुफा में जीवित रह सकते है। समझदार बनो और अपने सपनों को पूरा करो।

- मैं समझता हूं। जिस पल का मैं इन्तज़ार कर रहा था जबसे पहाड़ पर आया हूँ वो अब आ चुका है। धन्यावद, संरक्षक, मेरे साथ आपके धीरज और उत्साह के लिये। मैं आपको तथा आपके संग बिताए पलों को हमेशा याद रखूँगा।

जैसे ही मैंने उन्हें अलविदा कहा वेदना ने मेरे ह्रदय में जगह बना ली। अब सिर्फ मैं और गुफा, वह दो जो पूरी दुनिया का इतिहास बदल देंगे और मेरा खुद का भी। मैंनें सीधे उसकी तरफ देखा और अपनी अटैची से फ्लैशलाइट निकली ताकि रास्ते को रोशन कर सकूं। मैं प्रवेश करने के लिए तैयार हूं। इस विशालकाय के सामने मेरे पैर जमे हुए महसूस हो रहे हैं। मुझे लगातार रास्ते पर चलते रहने के लिये हिम्मत जुटाने की जरूरत है, मैं ब्राज़ीली हूँ और मैं कभी हार नहीं मानूंगा। मैंने पहला कदम बढ़ाया और मुझे ऐसा लगा की कोई मेरे साथ दे रहा है। मुझे लगता है मैं परमेश्वर के लिये काफी ख़ास हूं। वो मुझसे ऐसा बर्ताव करते हैं जैसे मैं उनका पुत्र हूँ। मेरे कदम बढ़ने लगे और अंततः मैंने गुफा में प्रवेश किया। शुरूआती सम्मोहन बहुत ही ज्यादा है लेकिन जालों के कारण सावधान रहना पड़ेगा। हवा में आर्द्रता बहुत ज्यादा है और बहुत ठण्ड है। खनिज मेरे चारों तरफ भरा हुआ है। मैं 50 मीटर ही चला हूँ की ठण्ड ने मेरे पूरे बदन को झकझोर कर रख दिया है। पहाड़ पर चढ़ने से पहले हर जो चीज से मैं गुजरा हूँ वो मेरे दिमाग में आ रही है: बेज़्ज़ती, अत्याचार और दूसरों से दुश्मनी। ऐसा लग रहा है कि मेरा कोई दुश्मन गुफा में छुपकर मुझ पर हमला करने के सही समय का इंतज़ार कर रहा है। बड़ी छलांग के साथ मैंने पहला जाल पार कर लिया। गुफा की आग ने तो मुझे निगल ही लिया था। नादजा इतनी खुशकिस्मत नहीं थी। छत से लगे चूने के पत्थर पर मैं लटक गया जिसने जादुई रूप से उसने मेरा भार सह लिया, जिस से मैं जीवित बच पाया। मुझे नीचे जाना होगा और अंजान की ओर अपने सफर को जारी रखना होगा। मेरे पैर चल रहे हैं लेकिन सावधानी के साथ। बहुत लोग जल्दी में रहते है, जीतने की या लक्ष्य को पूरा करने की जल्दी में। असामान्य चपलता ने मुझे दूसरे जाल से बचाया। असंख्य भाले मेरे ओर बरसाये गए। एक तो इतना करीब आ गया कि मेरे चेहरे पर खरोंच लग गई। गुफा मुझे तबाह कर देना चाहती है। अब से मुझे ज्यादा सावधान रहना होगा। अब मुझे गुफा में प्रवेश किये हुए एक घण्टा हो गया, लेकिन उस जगह नहीं पहुँच पाया जिसके बारे में संरक्षक ने बोला था। मैं शायद पास में ही होऊंगा, मेरे पैर लगातार चलने लगे और मेरे दिल ने चेतावनी का संकेत दे डाला। कभी कभी हम उन संकेतों पर ध्यान नहीं देते जो हमारा शरीर हमको देता है। यह तब होता है जब असफलता और निराशा घटित होता है। किस्मत से, मेरे साथ ऐसा नहीं था। मैंने एक बहुत जोर की आवाज को अपनी दिशा में आते हुए सुना। मैं दौड़ने लगा। कुछ पलों बाद मुझे अहसास हुआ कि एक बड़ा सा पत्थर जो तेजी से टूट रहा है मेरा पीछा कर रहा है। मैं कुछ देर के लिए दौड़ा और अचानक से मैंने पत्थर से पीछा छुड़ा लिया, और गुफा के बगल में एक झोंपड़ी ढूंढ ली। जब पत्थर गुजर गया तो गुफा के सामने का हिस्सा बंद हो गया और सामने तीन दरवाजे दिखने लगे। वो ख़ुशी, असफलता और डर का प्रतिनिधित्व करते हैं। अगर मैंने असफलता को चुना तो मैं कुछ भी नहीं बन पाऊंगा लेकिन एक पागल आदमी जो एक दिन एक लेखक बनने का सपना देखता है, बनकर रह जाऊँगा। लोग मुझ पर दया करेंगे। अगर मैं डर को चुनता हूँ तो मैं कभी बड़ा नहीं बन पाऊंगा और दुनिया में जाना नहीं जाऊँगा। अगर मैं ख़ुशी को चुनता हूँ तो मैं सपने को लगातार जीता रहूंगा और दूसरे दृश्य में चला जाऊँगा।

यहाँ पर तीन विकल्प है: दाईं तरफ का दरवाजा, बाईं तरफ का और बीच में। उनमे से हर एक किसी एक विकल्प का प्रतिनिधित्व करता है: ख़ुशी, हार और डर। मुझे सही का चुनाव करना है। समय के साथ मैंने अपने डर पर काबू कर लिया है: अँधेरे का डर, अकेले होने का डर और अंजान का डर और मैं सफलता और भविष्य से भी नहीं डरता। डर का प्रतिनिधित्व दाईं तरफ वाला दरवाजा कर रहा होगा। असफलता कमजोर योजना का नतीजा है। मैं कई बार असफल हुआ हूं लेकिन मैंने अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ा। असफलता आगे की जीत के लिए सबक का काम करती है। असफलता का प्रतिनिधित्व बायां दरवाजा कर रहा होगा। अंततः बीच वाला दरवाजा ख़ुशी का प्रतिनिधित्व कर रहा होगा क्योंकि सच्चे लोग ना तो दाएं मुड़ेंगे ना बाएं। सच्चे लोग हमेशा खुश रहते है। मैंने अपनी हिम्मत जुटाई और बीच के दरवाजे का चुनाव किया। खोलने पर मैं एक बरामदे पर पहुँच गया और छत पर खुशी नाम लिखा हुआ है। केंद्र में एक चाबी है जो अगले द्वार को खोलती है। मैं सच में सही था। मैंने पहला कदम पूरा कर लिया। अब दो बचे है। मैनें चाबी ली और दरवाजे पर कोशिश की। यह सही बैठा। मैंने दरवाजा खोला। मैं एक नए गलियारे में पंहुचा। मैं उसमे चलता गया और बहुत सारे ख़याल मेरे दिमाग में उमड़ने लगे: नये जाल क्या होंगे जिनका मुझे सामना करना होगा? गलियारा मुझे कैसे दृश्य में ले जाएगा? यहाँ अब बहुत सारे निउत्तर प्रश्न है। मैं लगातार चल रहा हूँ और मेरी साँसे फूलने लगी है क्योंकि यहाँ सांस लेना दूभर है। मैं करीब दस किलोमीटर चल चुका हूँ अब मुझे सजग रहना चाहिए। मैंने एक आवाज सुनी और खुद को बचाने के लिए जमीन पर झुक गया। ये शोर छोटे चमगादडों का है जो मेरे आस पास घूम रहे हैं। क्या वो मेरा खून चूसेंगे? क्या वे मांसाहारी हैं? मेरी खुशकिस्मती से वे विशाल बरामदे में गुम हो गए। मैंने एक चेहरा देखा और मेरा शरीर कांपने लगा। क्या वह भूत है? नहीं। वह एक देह है जो मेरे पास आ रही है मुझसे लड़ाई करने। ये गुफा के निंजा पंडित में से एक है। लड़ाई शुरू होती है। वह बहुत तेज है और एक महत्वपूर्ण स्थान पर मुझे मारने की कोशिश करता है। मैं उसके प्रहारों से बचने का प्रयास करता हूँ। मैंने फिल्में देख कर के जो दांव सीखे है उनसे लड़ता हूँ। योजना काम करती है और वह घबरा जाता है थोड़ा पीछे हो जाता है। वह अपने मार्शल आर्ट्स से मुझ पर फिर से प्रहार करता है लेकिन मैं उसके लिए तैयार हूँ। मैं उसे गुफा में से उठाये गए एक पत्थर से उसके सर पर मारता हूँ। वह बेहोश होकर गिर जाता है। मैं हिंसा के पूर्ण विरुद्ध हूँ लेकिन इस स्थिति में यह बेहद जरूरी था। मैं दूसरे दृश्य में जाना चाहता हूँ और गुफा के रहस्यों को जानना चाहता हूँ। मैं फिर से चलना शुरू करता हूँ और सजग रहता हूँ और खुद को दूसरे जालों से बचाता हूँ। आर्द्रता कम होती है और हवा चल रही है और मैं खुद को ज्यादा सुखद महसूस कर रहा हूँ। मैं संरक्षक द्वारा भेजे गए सकारात्मक विचारों की लहर को महसूस करता हूँ। गुफा और अंधेरी हो होती है, और खुद को बदलती है। सामने एक आभासी भूलभुलैया दिखती है। गुफा का एक और जाल। भूलभुलैया का प्रवेश द्वार पूरी तरह से दिख रहा है। लेकिन निकास द्वार कहाँ है? मैं कैसे प्रवेश करूँ और गुम ना हो जाऊं? मेरे पास केवल एक विकल्प है: भूलभुलैया को पार करूँ और खतरा उठाऊं। मैं अपना साहस बंधाता हूं और भूलभुलैया के प्रवेश की तरफ अपना पहला कदम उठाता हूँ। पाठको, प्रार्थना करें कि मुझे निकास मिल जाए। मेरे दिमाग में कोई योजना नहीं है। मुझे लगता है इस उलझन से बाहर निकलने के लिए मुझे अपनी बुद्धिमता का इस्तेमाल करना होगा। मैं भूलभुलैया के मुहाने में जाता हूँ। अंदर में तो यह बाहर से भी ज्यादा भ्रामक लग रहा है। इसकी दीवारें चौडी हैं और मोड़ टेढ़े मेढ़े। मैं जीवन में उन पलों को याद करने की कोशिश करता हूँ जहां मैंने खुद को खोया हुआ पाया जैसे भूलभुलैया में। मेरे पिता की मृत्यु, जब मैं बहुत ही छोटा था मेरे लिए बहुत ही धक्का देने वाली थी। वह समय जब मैं बेरोजगार था और पढाई भी नहीं कर रहा था तब मुझे लगा था कि मैं किसी भूलभुलैया में खोया हुआ हूँ। मैं अभी भी वैसी ही परिस्थिति में हूँ। मैं चलता गया और ऐसा लगा की इस भूलभुलैया का कोई अंत नहीं है। क्या आपने कभी मायूस महसूस किया है? मुझे ऐसा ही लगा रहा था, पूरी तरह मायूस। इसी वजह से इस गुफा का नाम निराशा की गुफा है। मैं अपनी बची ख़ुची ताकत जुटाकर खड़ा हुआ। मुझे किसी भी कीमत पर बाहर जाने का रास्ता ढूंढना था। मुझे आखिरी विचार आया; मैंने ऊपर छत की ओर देखा और बहुत से चमगादड़ देखे। मैं उनमे से एक का पीछा करूँगा और उसे “जादूगर” बुलाऊंगा। एक जादूगर भूलभुलैया को हरा सकता है। इसकी मुझे जरूरत थी। चमगादड़ बड़ी तेजी से उड़ा और मुझे उसके साथ बने रहना था। यह अच्छा है कि मैं शारीरिक रूप से चुस्त हूँ, बिलकुल किसी खिलाड़ी की तरह। मैंने सुरंग के अंत में एक रौशनी देखी, या बेहतर है, भूलभुलैया के अंत में। मैं बच गया।

भूलभुलैया के अंत ने मुझे गुफा के गलियारों के अजीब दृश्य में ला दिया। एक आईनों से बना कमरा। मैं बहुत डर के चल रहा था कि कहीं कुछ ना टूट जाये। मैं आईने में अपना प्रतिबिम्ब देख पा रहा हूँ। अब मैं कौन हूँ? एक कमजोर जवान सपने देखने वाला जो अपनी किस्मत की खोज करने ही वाला है। मैं थोड़ा चिंतित दिख रहा था। इन सब का क्या मतलब था? दीवारें, छत, फर्श सब कुछ कांच का बना हुआ है। मैंने कांच के सतह को छुआ। यह वस्तु कितनी भंगुर है लेकिन खुद के पहलू को प्रतिबिंबित करती है। तुरंत ही तीन आईनों में अलग दृश्य दिखते है, एक बच्चा, ताबूत पकडे एक जवान आदमी और एक बूढा आदमी। ये सब मैं हूँ, क्या यह एक दर्शन है? सच में मेरे बच्चों जैसे पहलु है जैसे पवित्रता, मासूमियत और लोगों में भरोसा। मुझे नहीं लगता कि मैं इन गुणों से छुटकारा पाना चाहता हूँ। एक पंद्रह साल का नौजवान मेरी एक दुःखद स्थित को प्रदर्शित करता है: मेरे पिता की मृत्यु। उनके कठिन और पृथक रास्ते थे, फिर भी वो मेरे पिता थे। मेरी यादों में मुझे वो अब भी याद हैं। बूढ़ा आदमी मेरा भविष्य दिखाता है। वह कैसा होगा? क्या मैं सफल होऊंगा? शादीशुदा, अकेला या विधुर होऊंगा? मैं एक घिनौना और दुखी बुजुर्ग नहीं होना चाहता। यह दृश्य बहुत हो गए। मेरा वर्तमान अभी है। मै एक 26 साल का जवान आदमी हूँ, गणित में डिग्री के साथ, एक लेखक हूँ। मैं अब कोई बच्चा नहीं रहा, ना ही पंद्रह साल का वो जिसने पिता को खोया है। मैं कोई बूढ़ा भी नहीं हूँ। मेरा आगे भविष्य है और मैं खुश रहना चाहता हूँ। मैं इन तीनो में से कोई भी दृश्य नहीं हूं, मैं, मैं ही हूँ। एक जोर के साथ, जिन तीनों आईनों में लोग दिख रहे थे टूट गया और एक दरवाजा दिखाई दिया। यह मेरे तीसरे और आखिरी दृश्य का प्रवेश है।

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